खिलखिलाती चमकीली धूप में, नदियों-झरनों का छलकता पानी ।
मुस्कुराता सूरज, बहती हवाएं, क्या कहती है ये हरियाली ।।
नटखट बन्दर भोला भालू, और यहीं तो रहते है वन के राजा ।
रूप है इनका कितना निराला, हर नजर मोह लेने वाला ।।
अलबेला मतवाला मोर हमारा, नाचता खेलता मस्ताना हाथी ।
सुन्दरता से ये है भरपूर, विभिन्न प्रजाति के यह वन्यप्राणी ।।
पीहू-पीहू गाते पंछी, रंग बिरंगा क्या खुबसूरत नज़ारा ।
आओ मनाये वन्यप्राणी सप्ताह, वन्य जीव संरक्षण हो उद्देश्य हमारा ।।

वन्य जीवन प्रकृति का अनमोल तोहफा है, जो मानव जाति के लिए अति आवश्यक है। विलुप्त होती वन्य जीव प्रजाति को बचाने के लिए वर्ष 1952 में भारत सरकार ने भारतीय वन्यजीव बोर्ड (IBWL) की स्थापना की, यह वन्य जीव संरक्षण हेतु जनता को जागरूक करने के लिए निरंतर कार्यरत है । 7 जुलाई 1955 में वन्यप्राणी दिवस मनाया गया और यह निर्णय लिया गया की प्रत्येक वर्ष अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में वन्यप्राणी सप्ताह मनाया जाये । जिनके प्रमुख उद्देश्य है –
1. वन्यजीव और पर्यावरण संरक्षण की भावना पैदा करना।
2. परिवार और समुदाय को प्रकृति से जोड़ना।
3. वन्य जीव संरक्षण के प्रति लोगो को जागरूक करना।
4. वन्य जीव संरक्षण के लिए और अधिक सेवाओं को लागू करना।
5. वन्यजीव संरक्षण से सम्बंधित सभी मुद्दों पर चर्चा करना।
वर्ष 1956 से प्रत्येक वर्ष वन्यप्राणी सप्ताह मनाया जा रहा है। वन्य प्राणी सप्ताह में वन विभाग के अधिकारियों-कर्मचारियों, पर्यावरणविदों, विशेषज्ञों और शिक्षकों द्वारा वन्यजीव संरक्षण के प्रति जागरूकता में तेजी लाने के लिए विभिन्न गतिविधियों का आयोजन किया जाता है, जिसमें वन्यजीवों से सम्बंधित लेखन, चित्रकला, रंगोली, वाद-विवाद, फेंसी ड्रेस, क्विज़ आदि प्रतियोगिताएं होती है, इस तरह यह सप्ताह वन्यजीवन के बारे में बच्चों, युवाओं और आम जनता को शिक्षित और जागरूक करने के साथ ही सरकार की नीतियों को डिज़ाइन करने एवं वन्यजीव संरक्षण के मुद्दों का समाधान करने में भी मदद करता है। मानव शरीर और मष्तिष्क को स्वस्थ व सकारात्मक ऊर्जा से भरपूर रखने के लिए पर्यावरण को स्वच्छ रखना अत्यंत आवश्यक है, पर्यावरण को शुद्ध और स्वच्छ रखना वन एवं वन्यजीवों के बिना असंभव है। वन्यप्राणी संरक्षण की गंभीरता को समझते हुए और इनके प्रति जागरूकता लाने हेतु विश्व भर में वन्यप्राणी सप्ताह मनाया जाता है।