भिखारी : माई ! भगवान के नाम पे दो रोटी दे दो, मैं भूखा हूँ । माई : चल आगे बढ़, अभी खाना नहीं बना।
नेता : (मंच से) हमें देश से गरीबी उखाड़ फेकनी है, अब इस देश में कोई गरीब नहीं होगा, हम समाजवाद! लाकर रहेंगे।
माँ : बच्चो इधर ही खेलो उधर झोपडी में गरीब बच्चे रहते है जो गंदे है।
टीचर : (स्टूडेंट से) पढ़ना चाहते हो ? गरीब हो ? फ़ीस कौन भरेगा ?नो एडमिशन सरकारी स्कूल में जाओ।
गांव के सेठ : मैं तुम्हे कर्ज़ क्यों दूं ! चुका पाओगे कर्ज़ ? तुम्हारे पास क्या है ? तुम निहायत गरीब हो, मुझे क्षमा करो ।
डॉक्टर : मैं तुम्हे बता दूं, तुम्हारे पिताजी के ऑपरेशन में कम से कम पचास हज़ार का खर्च है, तुम गरीब हो ! किसी सरकारी हॉस्पिटल में इलाज करवाओ ! मैं नहीं कर सकता ।
पंडित जी : (यजमान से) तुम्हे प्राण प्रतिष्ठा भी करवानी है! गंगाजी जाकर कथा भी करवानी है! 15 ब्राम्हणों को भोजन एवं दान दक्षिणा इत्यादि, गरीब हो कम से कम में भी करोगे तो भी 15 से 20 हजार का खर्च आयेगा ।
प्रेमिका : प्रिये मैं तुमसे शादी नहीं कर सकती ! तुम्हारे पास कुछ नहीं है, मेरा खर्च कैसे पूरा करोगे? हो सके तो मुझे भूल जाओ ।
वकील : (मुवक्किल से) मैं तुम्हे एक शर्त पर फाँसी होने से बचा सकता हूँ, बशर्ते की तुम्हे कम से कम 50 लाख का प्रबंध करना पड़ेगा, तुम ठहरे बेबस-गरीब ! तुम किसी सरकारी वकील से बात क्यों नहीं कर लेते।
किससे, किस किस से बात करे, किसे क्षमा करे, किसे भूले किसे याद करें? उपरोक्त वाक्य मात्र एक कल्पना है, लेकिन हकीकत ये भी है कि गरीबी है! शत प्रतिशत है, जिसे लोग देश से दिमाग से दिल से भुला देना चाहते है "शब्दकोष" से हटा देना चाहते है, "नफरत ही सही लेकिन चाहत तो है, मोहब्बत तो है, "बेचारी मासूम गरीबी" से ! कैसे भुला पायेंगे? कैसे दिल से जुदा कर पायेंगे? गरीबी एक सोच, एक एहसास, एक सत्य है, जो देश की धड़कन में, हर सांस में है । जी हाँ आप सही सोच रहे हैं, ये वही गरीबी है, जिसके दम पर दुनिया चलती है ।